एक सफ़र - बेगम अक्तर

|
०१ अब च्चालकते हुए
०२ आए मोहब्बत तेरे
०३ दिल की बात कहीं
०४ दीवाना बनाना है तू
०५ डोर है मंज़िल
०६ इस इश्क़ के
०७ इश्क़ में गैरत
०९ जब भी नज़्म-ए-मैकड़ा
१० ख़याल-ए-काबा-ओ-तैबा
११ खूष-हून के
१२ किसी से पूछें
१३ कोई यह केहदे गुलशन
१४ मेरे हुमनफास मेरे
१५ सक़िया छ्चोड़ ना खाली
१६ उल्टी हो गयीं सब
१७ उज़र आने में भी है
१८ वो जो हम में तुम
१९ यह ना थी हमारी क़िस्मत
२० ज़िक्र उस परिवश का




2 comments:

Swati Shilker said...

Having a great time! Thanks Abhijeet.

Madhavi Lolienkar said...

wow!!!I got tht superbe ghazal ""Woh jo tumey humey karaar thaa tujeh yaad ho ya!!!.......

Post a Comment