खुशी दो घड़ी

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खुशी दो घड़ी की, मिले ना मिले
शमा आरज़ू की, जले ना जले
खुशी दो घड़ी की ...

रहेगुज़र में कही मंज़िलें भी मिलें (२)
देख कर एक पल, दम लिया फिर चले
खुशी दो घड़ी की ...

हर कदम पर नये मरहजे थे खड़े (२)
हम चले दिल चला, दिल चला हम चले
खुशी दो घड़ी की ...


1 comments:

Randhir Singh Suman said...

खुशी दो घड़ी की ...nice

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